Simran Ansari

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रूहानी रिश्ता : भाग - 3

दरवाज़े की बेल बजी और समीरा ने भागकर दरवाजा खोला तो देखा उसके पापा ऑफिस से वापस आ गए थे उसके बाद समीरा ने अपने पापा को भी सारी बात बताई वह भी बहुत खुश होकर उसकी खुशी देखकर उसके पापा भी बहुत ज्यादा खुश हो गए और बोले- डेट्स वेरी गुड मुझे पता था मेरी बेटी बहुत कौर काबिल है उसे ज़रूर यह जॉब मिल जाएगी।।


इस पर समीरा खुशी से अपने पिता के गले लगते हुए कहती है इसी खुशी में आज मैंने आपके लिए स्पेशल कुछ बनाया है आप फ्रेश हो कर बैठे मैं लाती हूं.....

इतना कहकर समीरा किचन में चली जाती है और उसके पापा डायनिंग टेबल के पास लगी हुई चेयर पर बैठ जाते हैं और फिर वह अपने पापा को अपने हाथों की बनाई हुई खीर अपने पापा को खिलाई..... खीर खा कर उसके पापा ने उसकी बहुत तारीफ करी और फिर हंसते हुए कहा अरे वाह मेरी बेटी तो शेफ भी बन सकती है हमें नहीं पता था कि मेरी बेटी इतनी अच्छी कुक भी है।।।

इस पर समीरा ने कहा सच में पापा बहुत अच्छी लगी आपको खीर हम आपके लिए दोबारा भी बनाएंगे जब भी आपका खाने का मन है आप हमें बता देना।।।

हां बिल्कुल मुस्कुराकर समीरा के पापा ने कहा 

इतने में समीरा की मम्मी भी वहां पर आ गई और बोली - अच्छा जी मेरी तो बनाई हुई किसी भी चीज की तारीफ नहीं करी आज तक और आज बेटी है खीर क्या बना दी तारीफों के पुल बांधे जा रहे हैं।।।।

इस पर समीरा बोली हां तो अच्छी बनी है आप भी खाकर तारीफ कर दो ना

इस बात पर तीनों हंसने लगी है फिर सब ने साथ बैठकर डिनर किया और सुना अपने कमरे में आकर लेट गई उसे नींद नहीं आ रही थी वह कल के बारे में सोच रही थी कल से उसके काम का पहला दिन होगा यह सब सोचकर वह मन ही मन बहुत उत्साहित हो रही थी और उसे थोड़ा डर भी लग रहा था क्या वह अच्छे से काम कर पाएगी या नहीं??? 

सब सोचते सोचते ही थोड़ी देर में समीरा को पता ही नहीं चला कि कब उसे नींद आ गई सुबह 8:00 बजे के अलार्म से उसकी आंख खुली तो वह हड़बड़ा कर उठ बैठी और फिर अलार्म बंद करती हुई खुद से ही बोली ओ गॉड 8:00 ही बजे हैं अभी तक मैं तो डर गई कि कहीं लेट तो नहीं हो गई पहले ही दिन वैसे मुझे तो 10:00 बजे तक पहुंचना है।।।

यह सोचकर वह उठी और बाथरूम की तरफ चली गई और थोड़ी ही देर में तैयार होकर बाहर निकली तो उसने देखा उसकी मां किचन में उसके लिए नाश्ता बना रही थी उसकी मां ने कहा समीरा आकर नाश्ता कर ले आज तेरे काम का पहला दिन है तो उसके लिए ऑल द बेस्ट

थैंक यू मां कहते हुए समीरा चेयर पर नाश्ता करने के लिए बैठ गई और नाश्ता करने लगी

उसकी मां ने उससे पूछा कितने बजे तक पहुंचना है तुझे?

हां मां वो मुझे 10:00 बजे तक पहुंचना है समीरा ने नाश्ता करते हुए जवाब दिया

अच्छा ठीक है आराम से नाश्ता कर ले अभी तो 9:15 ही हुआ है समीरा की मां ने कहा

तो समीरा ने चौंक कर घड़ी की तरफ देखा और बोली ओ गॉड 9:15 बज गए 9:30 से पहले मुझे निकलना होगा पहुंचने में भी तो आधा घंटा लगता है और मैं पहले ही दिन लेट नहीं होना चाहतीं......

अच्छा ठीक है यह तो बताओ वापस कितने बजे तक आएगी?? मीरा की मां ने फिर पूछा

समीरा नाश्ता करके खड़ी हो गई और पर्स में अपना सारा सामान चेक करने लगी और मोबाइल पर्स में रखती हुई बोली ओ मां कितना सवाल करती हो आप बताया तो था 8:00 बजे तक आ जाऊंगी.....

अच्छा ठीक है ध्यान से जाना समीरा की मां ने कहा

ओके बाय मां कहती हुई समीरा घर के दरवाजे से बाहर निकल गई

और फिर सड़क से टैक्सी करके वहां तक पहुंची तो उसने घड़ी में टाइम देखा अभी 10:00 नहीं बजे थे फिर उसने टैक्सी वाले को पैसे दिए और सड़क पार करके दूसरी तरफ आ गई जहां वह दुकान थी तो उसने देखा दुकान पहले से ही खुली हुई है और अजय और पुनीत दोनों ही दुकान के अंदर अपने अपने कामों में लगे हुए थे।।

उन्हें देखकर समीरा ने उन्हें हेलो किया और उनसे पूछा मैं टाइम पर हूं ना और तुम्हारा बॉस कहां है वह नहीं आता क्या दुकान पर???

इस पर अजय बोला हेलो समीरा हां तुम बिलकुल टाइम पर हो और हमने तुम्हें बताया था ना करन 12:00 बजे के बाद ही यहां आता है...

हां सही है उसकी तो अपनी दुकान है कितने भी बजे आए समीरा ने कहा

इसके बाद अजय ने समीरा को उसका काम समझा दिया और वापस अपने काम में लग गया..... समीरा भी अपने काम में चुपचाप लग गई थोड़ी देर बाद एक आदमी बुक्स देखने आया तो समीरा ने उसे कई सारी बुक्स दिखाएं उसने कहा कि उसे लेना नहीं वह तो बस देख रहा था फिर भी समीरा ने उसे 2 बुक्स बेच दी।।।

यह देखकर पुनीत उसकी तारीफ करते हुए बोला अरे वाह तुम तो बहुत अच्छी सेल्सगर्ल बन सकती हो मार्केटिंग में जॉब का ट्राय क्यों नहीं करती जिसे नहीं चाहिए उसे भी बुक बेच दिया.....

अरे नहीं ऐसा कुछ नहीं है वह बस मेरा काम का पहला दिन है तो बस अच्छे से करना चाहती हूं और इतना काम बहुत है मेरे लिए इससे ज्यादा का नहीं ट्राई करना समीरा उसकी बात का लापरवाही से जवाब देती हुई बोली

हां मैं तो बस एडवाइज दे रहा था बाकी तुम्हारी मर्जी पुनीत ने समीरा से कहा

हम्म थैंक्स फॉर योर एडवाइस बट आई एम ओके हेयर समीरा ने जवाब दिया

जिस पर पुनीत ने कहा ठीक है..... तभी अचानक से करण दुकान में आ गया और पुनीत के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला और गाइस क्या बातें चल रही है....

कुछ नहीं बस ऐसे ही- पुनीत बोला

करण को आते देख समीरा ने तुरंत ही घड़ी की तरफ देखा तो ठीक 12:00 बज रहे थे समीरा ने मन ही मन सोचा एक दम करेक्ट टाइम वाओ यार.....

उसके बाद करण अंदर आकर बुक्शेल्फ पर रखी एक किताब उठाकर पढ़ने लगा तो उसे देख कर समीरा बोली - यह बुक तो मैंने पूरी पढ़ रखी है और मेरी फेवरेट भी है तुम्हें भी पढ़ना पसंद है??

करन ने समीरा की तरफ देख कर कहा हां थोड़ा बहुत ज्यादा नहीं कभी-कभी पढ़ लेता हूं खाली टाइम में वैसे मैंने यह बुक अभी शुरू ही की है देखो कब खत्म होती है.....

समीरा ने कहा कभी-कभी क्यों हमेशा क्यों नहीं मुझे तो हमेशा ही पढ़ना पसंद है फ्री टाइम ना भी हो मैं तो टाइम निकाल कर पढ़ती हूं इसलिए ही तो मैंने यह जॉब की है कि जब कोई भी ग्राहक नहीं होगा तो मैं कोई भी न्यू बुक पढ़ लूंगी बैठकर।।।

अब करण भी थोड़ी दिलचस्पी दिखाते हुए समीरा से बोला अच्छा तो तुम्हें पढ़ना इतना पसंद है वैसे तो तुम्हें पता है ना ज्यादा बुक्स पढ़ने वालों को सब बोरिंग कहते हैं तुम्हें नहीं कहते???

अरे कोई कुछ भी कहे मुझे इतना फर्क नहीं पड़ता मुझे जो पसंद है मैं तो वही करती हूं समीरा ने बेफिक्री से कहा

अच्छा मेरी मां को भी पढ़ना बहुत पसंद था यहां पर रखी ज्यादातर पुरानी बुक उन्हीं के कलेक्शन की है उन्हें में अलग इस लॉक अलमारी में रखता हूं और उन किताबों को मैं कभी नहीं बेचूंगा और इसीलिए मैं भी कभी-कभी किताबे पढ़ लेता हूं जब भी मां की याद आती है यह मुझे उनके करीब होने का एहसास दिलाती है कहते-कहते करण थोड़ा इमोशनल हो गया और समीरा ने यह नोटिस कर लिया तो वह बात बदलते हुए बोली अच्छा तो मुझे अपनी मां के कलेक्शन में से कुछ बुक्स दोगे पढ़ने के लिए???

हां बिल्कुल तुम पढ़ सकती हो उन्हें अच्छा लगेगा वह जहां भी हैं-करण बोला

क्या हुआ था तुम्हारी मॉम को??? समीरा ने सवाल किया

उसकी उसके इस सवाल का करण कोई जवाब ना दे सका और उसे अलमारी की चाबी देते हुए बोला यह लो इस अलमारी की चाबी लेकिन याद रखना इनमें से कोई भी किताब किसी को बेजना नहीं और ना ही इधर-उधर रखना सिर्फ तुम पढ़ना और वापस इसी में रखकर लॉक कर देना।।।

ठीक है कहते हुए समीरा ने करण के हाथ से चाबी ले ली और बोली तुम नहीं बताना चाहते तो कोई बात नहीं वैसे भी मुझे नहीं पूछना चाहिए था आई एम सॉरी

इस बात पर भी करण कुछ नहीं बोला और वहां से बाहर निकल गया।।।

उसके बाहर जाते ही समीरा मन ही मन सोचने लगी उसने ऐसा क्या कह दिया जो करण को इतना बुरा लग गया कि वह वहां से चला ही गया या शायद वह अपनी मॉम की डेथ के बारे में बात नहीं करना चाहता हो...... वह वहां खड़ी खुद में ही यह सब सोच रही थी।।।

कि तभी अजय उसके पास आया और बोला- डोंट वरी समीरा मुझे पता है तुम क्या सोच रही हो तुम्हारी कोई गलती नहीं बस करण अपनी मॉम को लेकर थोड़ा ज्यादा ही इमोशनल है।।।

इस पर समीरा बोली- मुझे नहीं पता था शायद मुझे नहीं पूछना चाहिए था..... वह ठीक तो है ना??

एक बार पुनीत बोला हां वह ठीक है थोड़ी ही देर में वापस आ जाएगा तुम फिक्र मत करो

ओके कहकर समीरा वापस बुक स्टॉल की तरफ चली गई वहां पर कोई बुक्स खरीदने आया था तो समीरा उसे बुक्स दिखाने लगी अजय पुनीत भी वापस अपने अपने काम में लग गए।।।

लगभग 1 घंटे बाद वापस शॉप में आया और बाहर की तरफ बैठकर अजय और पुनीत से ही बात करने लगा।।।

समीरा ने उसे दूर से ही देखा उसने सोचा देखने में तो ठीक लग रहा है अब लेकिन वहां उससे बात नहीं करेगी क्या पता कौन सी बात पर उसका मूड खराब हो जाए।।।

जब तक कोई जरूरी बात या जरूरी काम नहीं होगा तब तक समीरा ने सोचा वह अपने काम से ही काम रखेगी.....

थोड़ी देर बाद समीरा ने अलमारी खोलकर एक बुक निकाली और साइड में बैठकर उसे पड़ने लगी किसी पुराने राइटर की बुक थी जो समीरा ने आज से पहले कभी नहीं पढ़ी थी और उसे टाइटल भी काफी इंटरेस्टिंग लगा तो वह पढ़ने बैठ गई क्योंकि दिन के इस वक्त बुक स्टॉल पर कम ही लोग आते थे,

करण दूर से बैठा समीरा को ही देख रहा था लेकिन जैसे ही समीरा उसकी तरफ देखती वह अपनी नजरें दूसरी तरफ कर लेता कि जिससे समीरा को पता ना चल पाए कि वह उसे ही देख रहा है बुक पढ़ते वक्त समीरा के बाल चेहरे पर आ रहे थे और वह बार-बार उन्हें कान के पीछे कर रही थी और बड़े ही ध्यान से बुक पढ़ने में लगी हुई थी।।।

यह सब देख कर करण मुस्कुरा रहा था और मन में सोच रहा था या तो बिल्कुल मां की तरह ही ध्यान से बुक्स पढ़ती है तभी बुक स्टॉल पर एक लड़की आई और वहां पर किसी को ना देख कर चिल्लाने लगी कोई है मुझे वह बुक खरीदनी है कितने की है कोई बताएगा समीरा बुक पढ़ने में कुछ ज्यादा ही ध्यान मग्न थी उसे उस लड़की की आवाज सुनाई नहीं दी और अजय उठकर उस लड़की को किताब दिखाने लगा तब समीरा का ध्यान उस तरफ गया तो उसने जल्दी से बुक साइड में रखी और अजय से कहा सॉरी मैं अब ध्यान रखूंगी और उस लड़की को खुद किताबे दिखाने लगी..... अजय ने कहा कोई बात नहीं उन लोगों को तो आदत है उसके ना रहने से पहले वह दोनों मिलकर ही यह सब हैंडल करते थे।।।

इस पर समीना बोली हां लेकिन अब तो या उसका काम है तो उसे ही करना होगा थैंक्स फॉर योर हेल्प मैं ध्यान रखूंगी की अब ऐसा ना हो.....

वह लड़की बुक खरीद कर चली गई तो अजय ने समीरा से कहा अच्छा नेक्स्ट टाइम तुम मेरी हेल्प कर देना मेरे काम में तो हिसब बराबर हो जाएगा अजय की इस बात पर समीरा मुस्कुराने लगी और बोली ओके.....

मेरा जल्दी से वापस आए और वह बुक उठाकर वापस अलमारी में लॉक करके रखने लगी तभी उसे कुछ ध्यान आया और वह करण के पास जाकर बोली- " मुझे तुमसे एक बात पूछनी है"

हां पूछो करण ने अपने काम में लगे हुए ही उससे कहा

वह मैं यह बुक पढ़ रही थी तो अभी यहां पर टाइम नहीं है तो मैं घर ले जाकर......

क्या क्या कहना चाहती हो ठीक से कहो करण ने कहा

हां वह मैं यह कह रही थी अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं क्या बुकू घर ले जा सकती हूं 1 दिन के लिए पढ़ने के लिए कल मैं पक्का वापस लाकर इसे अलमारी में लॉक करके रख दूंगी समीरा ने एक ही सांस में सब बोल दिया

और फिर आस भरी निगाहों से करण की तरफ देखने लगी।।

उसकी इस बात पर करण थोड़ा सोचता हुआ बोला अच्छा ठीक है ले जा सकती हो लेकिन ध्यान से कल वापस लाकर उसकी जगह पर रख देना।।।

यह सुनकर समीरा बहुत खुश हुई क्योंकि उससे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि कारण उसे अपने मां के कलेक्शन की बुक घर ले जाने देगा।।।

थैंक यू सो मच करण समीरा खुश होते हुए बोली

इस पर करन समीरा की तरफ देख कर हल्का सा मुस्कुरा दिया और कुछ नहीं बोला

समीरा ने जल्दी से बुक को अपने बैग में रख ली और खुशी-खुशी दोबारा अपने काम में लग गई।।।।


जारी......


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4 Comments

The traveller

24-Feb-2022 01:44 PM

आप बहुत बहुत अच्छी लेखिका है।

Reply

Gunjan Kamal

24-Feb-2022 10:59 AM

बेहतरीन

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Seema Priyadarshini sahay

16-Feb-2022 04:27 PM

बहुत खूब लिखा मैम

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